असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः।
अशुश्रूषा त्वरा श्लाघा विद्यायाः शत्रवस्त्रयः॥
अन्वयः-
-- असूया एकपदं मृत्युः।
अतिवादः श्रियो वधः। विद्यायाः त्रयः शत्रवः- अशुश्रूषा, त्वरा,
श्लाघा (चेति)॥
भावानुवादः-
--विद्यार्थिनः कृते असूया
झटिति विद्यानाशकारिणी अस्ति। अमितभाषणमथवा अपभाषणं संपत्तिनाशकश्च; असेवा (गुरोः), विद्याभ्यासे अनावश्यकी त्वरा,
आत्मश्लाघाश्च त्रय इमे विद्यायाः शत्रवः सन्ति।
हिन्दी-अनुवादः-
--विद्यार्थी के लिए ईर्षा
मृत्यु के समान है। अधिक या अपशब्द बोलना संपत्तिनाशक है। तथा सेवाविमुख होना,
पढाई में जल्दबाजी करना, और स्वयं की प्रशंसा करना-
ये तीन विद्या के शत्रु है।
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