Wednesday 7 September 2016

सुभाषितम् - कामधेनुगुणा विद्या




कामधेनुगुणा विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ॥

अन्वयः-
    --अकाले फलदायिनी विद्या हि कामधेनुगुणा। विद्या प्रवासे मातृसदृशी, गुप्तं धनं च स्मृतम् ॥

भावानुवादः-
     --विद्या कामधेनोः समानास्ति, या अकालेऽपि फलं ददाति। प्रवासे एषा मातृसदृशी भवति; सा गुप्तधनमेवेति स्मृतम्।

हिन्दी-अनुवादः-
    --विद्या (इच्छित फल देनेवाली) कामधेनु के समान है, जो जब चाहे फल देती है। यह प्रवास में माता समान है; विद्या सच में गुप्त धन ही है।

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