कामधेनुगुणा विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ॥
अन्वयः-
--अकाले
फलदायिनी विद्या हि कामधेनुगुणा। विद्या प्रवासे मातृसदृशी, गुप्तं
धनं च स्मृतम् ॥
भावानुवादः-
--विद्या
कामधेनोः समानास्ति, या अकालेऽपि फलं ददाति। प्रवासे एषा मातृसदृशी
भवति; सा गुप्तधनमेवेति स्मृतम्।
हिन्दी-अनुवादः-
--विद्या
(इच्छित फल देनेवाली) कामधेनु के समान है, जो जब चाहे फल देती
है। यह प्रवास में माता समान है; विद्या सच में गुप्त धन ही है।
good collection of poems.
ReplyDeleteIn my book its not ह्यकाले
ReplyDeleteIt is sarvada