Thursday 5 December 2019

विदग्धा वाक् 118 - दरिद्रान् भर कौन्तेय

दरिद्रान् भर कौन्तेय समृद्धान् न कदाचन ।
व्याधितस्यौषधं पथ्यं नीरोगस्य किमौषधैः ॥

--सूक्तमाला १०८

दरिद्रान् भर कौन्तेय समृद्धान् न कदाचन । व्याधितस्य औषधं पथ्यं नीरोगस्य किम् औषधैः ॥

कौन्तेय, दरिद्रान् भर। समृद्धान् कदाचन न। व्याधितस्य औषधं पथ्यं, नीरोगस्य औषधैः किम्? ॥

ఓ కుంతీనందనా, పేదవారిని పోషించు. ధనవంతులను కాదు. రోగం ఉన్నవాడికి మందు పథ్యం పెట్టాలి కానీ ఏరోగమూ లేనివాడికి మందులతో పనేంటి?

हे कुन्ती नंदन, धनहीनों को सहारा दो, पर जो भरेपूरे हैं, उनको कभी मत देना। (इसका उदाहरण) जो रोगी है, उसके लिए दवाई की आवश्यकता है, जो रोगी है ही नहीं, उसका औषधों से क्या करना है?

O son of Kunti, Support the poor and needy, (but) never the prosperous ones. Medical specific diet is for the ill; what is the use of medicines for the healthy?

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