Thursday 5 December 2019

विदग्धा वाक् 110 - अन्तस्तिमिरनाशाय

अन्तस्तिमिरनाशाय शाब्दबोधो निरर्थकः ।
न नश्यति तमो नाम कृतया दीपवार्तया ॥

--सूक्तिमाला २५१

अन्तस्तिमिर-नाशाय शाब्दबोधः निरर्थकः । न नश्यति तमः नाम कृतया दीप-वार्तया ॥

अन्तस्तिमिर-नाशाय शाब्दबोधः निरर्थकः (भवति) । तमो नाम दीपवार्तया कृतया न नश्यति ॥

अन्दर के अन्धेरे का नाश के लिए शब्दों का बोध व्यर्थ है। दिये की बात मात्र करने से अन्धेरे का नाश नहीं होता है। 

ఆంతరికమైన చీకటి నశించటం కోసం మాటలను అర్థం చేసుకోవటం (మాత్రమే) పనికిరాదు. దీపం గురించి మాట్లాడినంతమాత్రాన చీకటి నశించదు. 

Knowing the meanings of words (alone) is not helpful in removing the inner darkness. Darkness does not disappear by talking about light.

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