Thursday 5 December 2019

विदग्धा वाक् 113 - तावद् भयाद्धि

तावद् भयाद्धि भेतव्यं यावद्भयमनागतम्।
आगतं तु भयं वीक्ष्य प्रहर्तव्यमभीतवत् ॥

--सुभाषितमञ्जरी ४१५.१८५

तावद् भयाद् हि भेतव्यं यावद् भयम् अनागतम्। आगतं तु भयं वीक्ष्य प्रहर्तव्यम् अभीतवत् ॥

यावद् भयम् अनागतं, तावद् हि भयाद् भेतव्यम् । भयं तु आगतं वीक्ष्य अभीतवत् प्रहर्तव्यम् ॥

भयानक घटना से तभी तक डरना चाहिए, जब तक वह (पास) नहीं आता। भयानक घटना के (सामने) आने पर उसे देखकर निर्भीक के समान उस पर प्रहार करना चाहिए।

భయంకరఘటన జరగనంతవరకే దానివల్ల భయపడాలి. భయంకరఘటన (ఎదురు) పడినప్పుడు దాన్ని చూసి, భయంలేనివానివలె దెబ్బకొట్టాలి.

One should be afraid of a danger, only until it does not happen; but having seen a danger occurring, one should hit it like a fearless one.

1 comment:

  1. ಭಯ ಬಾರದಿರುವಾಗ ಮಾತ್ರ ಭಯಕ್ಕೆ ಹೆದಱಬೇಕು. ಬಂದಾಗ ಭಯವೇ ಇಲ್ಲವೇನೋ ಎಂಬಂತೆ ಹೋರಾಡಬೇಕು.

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