Tuesday 29 May 2018

विदग्धा वाक् 32 - हेम्नः खेदो न तापेन

हेम्नः खेदो न तापेन च्छेदने कर्षणेन वा ।
तदेव हि परं दुःखं यद्गुञ्जासमतोलनम्॥

--सभाषितलसुधानन्दलहरी १०
 
हेम्नः खेदः न तापेन च्छेदने कर्षणेन वा । तद् एव हि परं दुःखं यद् गुञ्जा-समतोलनम्॥
 
हेम्नः- तापेन च्छेदने कर्षणेन वा खेदः न (भवति)। यद् गुञ्जा-समतोलनं, तद् एव हि (तस्य) परं दुःखं (भवति)॥
 
सोने को जलाने से, काटने से, मोड़ने से- (उतना) खेद नहीं होता; पर रत्ती से उसे तोले जाने पर महान् दुःख होता है। [रत्ती- सोने को तोलने के लिए उपयोग करने वाला लालरंग का छोटा सा बीज]
 
रत्ती बहुत ही छोटा होता है। उसका कोई अपना महत्व नहीं होता । और हम किसी अनुपयोगी एवं निरर्थक वस्तु से तुलना करते समय -रत्ती भर भी नहीं है- ऐसा कहते हैं । सोना अपने आप में बहुत कीमती होता है । चाहे कितना भी छोटा क्यों ना हो । तो जब रत्ती से उसकी तुलना होती है तो उसे बड़ा कष्ट होता है। सोने को लगता है कि मेरी बराबरी का या मुझसे समान यह नहीं है। यह उनके लिए कहा गया है जो बहुत महत्व रखते हुए अपने आप में सभी चीजों के लिए सक्षम होते हुए भी नालायकों से तुलना में पीछे रह जाना पड़ता है।
 
బంగారానికి కాల్చినా, విరిచినా, మెలితిప్పినా అంత బాధకలగదు; (కానీ దాన్ని) గురుగింజతో తూచినప్పుడు (మాత్రం) చాలా బాధ (పడుతుంది).
Gold is not pained by heat, cutting or pulling or bending. But it’s deeply hurt when  compared with guñjā (a small seed).
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హేమ్నః ఖేదో న తాపేన చ్ఛేదనే కర్షణేన వా ।

తదేవ హి పరం దుఃఖం యద్గుఞ్జాసమతోలనమ్॥
--సభాషితలసుధానన్దలహరీ ౧౦

హేమ్నః ఖేదః న తాపేన చ్ఛేదనే కర్షణేన వా । తద్ ఏవ హి పరం దుఃఖం యద్ గుఞ్జా-సమతోలనమ్॥

హేమ్నః- తాపేన చ్ఛేదనే కర్షణేన వా ఖేదః న (భవతి)। యద్ గుఞ్జా-సమతోలనం, తద్ ఏవ హి (తస్య) పరం దుఃఖం (భవతి)॥

బంగారానికి కాల్చినా, విరిచినా, మెలితిప్పినా అంత బాధకలగదు; (కానీ దాన్ని) గురుగింజతో తూచినప్పుడు (మాత్రం) చాలా బాధ (పడుతుంది).
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